Tu hai kahan lyrics in hindi

Tu Hai Kahan Lyrics

कि जब मैं हद से आगे बढ़ गया था आशिकी में
यानी ज़िंदगी को ले रहा मज़ाक ही में
फिर मज़ाक ही में मिल गया सब ख़ाक ही में
छू कर आया मंज़िलें तो तन्हा था मैं वापसी में

जैसे फूल तोड़े होंगे तुमने झोली भर के
मैं वोह फूल जो के रह गया था शाख ही में
जैसे ख़्वाब ही मैं ख़्वाबगाह आंख ही में
पल से पल में क्या हुआ तुम रह गए बस याद ही में

एक सवाल मचलता है मेरे दिल में कभी
तुझे मैं भूल जाऊँ या तुझे मैं याद करूँ
तुझी को सोच के लिखता हूँ जो भी लिखता हूँ
अब लिख रहा हूँ तो फिर क्यों ना एक सवाल करूँ

मैं इस सवाल से ग़म को बदल दूँ खुशियों में
पर इन बेजान सी खुशियों से क्या कमाल करूँ
पर अब सवाल भी कमाल तू संभाल ले फिल्हाल
यह सवाल बिछा जाल क्या मैं चाल चलूँ

चाल चल तू अपनी मैं तुझे पहचान लूँगा
मैं अपनी महफिलों में सिर्फ तेरा ही नाम लूँगा
तुझे पसंद है धीमा लहज़ा और बस ख़ामोशियां
मैं तेरे ख़ातिर अपनी ख़ुद की साँसें थम लूँगा

क्या तेरे सारे आंसू मेरे हो सकते हैं
ऐसा है तो तेरे ख़ातिर हम भी रो सकते हैं
मेरे ख़ातिर मेरे रोने पर अब तुम बस हंस देना
एक बार तेरे मुस्कुराहट के पीछे हम सब कुछ खो सकते हैं

क्या मेरी मोहब्बतों का कोई हिसाब नहीं है
क्यों तेरे आँखों में मेरे लिए कोई ख्वाब नहीं है
तुझे क्या ही करूँ, ग़मज़ादा अब जाने दे
के तेरे पास मेरे प्यार का जवाब नहीं है

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कितनी मुद्दतें हुई हैं, तुमने खत क्यों नहीं भेजा
गा लेता हूँ तेरे लिए, मौसिक़ी नहीं है पेशा
आने की खबर ही नहीं, तेरे अब
अब क्या मौसमों से पूछूँ, तेरे आने ला अंदेशा

आँखों में आंसू नहीं है
कहाँ है तू, कहाँ तू नहीं है
दिल को ये अब जानना ही नहीं
बस तू चले आओ
तू है कहाँ
ख्वाबों के इस शहर में
मेरा दिल तुझे ढूंढता
ढूंढता अर्सा हुआ

तुझको देखा नहीं, तू ना जाने कहाँ छुप गया
छुप गया, आओ फिर से हम चले
थाम लो ये हाथ, कर दो कम ये फासले
ना पता हो मंज़िलों का, ना हो रस्ते
तू हो, मैं हूँ, बैठे दोनों फिर हम, तारों के तले

ना सुबह हो फिर, ना ही दिन ढले
कुछ ना कह सके, कुछ ना सुन सके
बातें सारी वह दिल में ही रहे
तुम को क्या पता है, क्या हो तुम मेरे लिए

कहकशा हो तुम, कहानियों की परियों की
तरह हो तुम
मुझमें आ सके ना कोई इस तरह हो तुम
हो यकीन तुम मेरा या फिर गुमान हो तुम
आशियान हो तुम, मैं भटका सा मुसाफिर
और मकान हो तुम
मेरी मंज़िलों का एक ही रास्ता हो तुम
ढूँढता है दिल तुझे, बता कहाँ हो तुम,

हो जहाँ कहीं भी आओ पास ताकि
आंसू मेरे थम सकें
याद आ रहे हो तुम मुझे अब हर लम्हे
ऐसी जिन्दगी का क्या जो तुम जिन्दगी में होके
मेरी जिन्दगी ना बन सके
सोचता रहूँ या भूल जाऊँ अब तुम्हें
तुम मिल ही ना सकोगी तो
फिर कैसे चाहूँ अब तुम्हें

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तेरे सारे ख्वाब पल में जोड़ देंगे
जिसमें तू ही ना बसेगा फिर वह दिल ही तोड़ देंगे
छोड़ देंगे वह शहर के जिसमें तुम ना होगे
तूट जाएंगे मकान वह सारे हसरतों के

गुज़रे पल जो साथ तेरे वह पल है बस सुकून के
मिल लो अब तुम इस तरह के फिर नहीं मिलोगे
तू ही था साथ में मेरे कैसे मैं जीयूँगा अकेले
तारे गिन-गिन के हो गई है सुबह

तू है कहाँ
ख्वाबों के इस शहर में
मेरा दिल तुझे ढूंढता
ढूंढता
अरसा हुआ तुझको देखा नहीं
तू ना जाने कहाँ छुप गया
छुप गया

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